लेखनी कहानी -10-May-2022 पापा की परी
जब से वह आई है
पापा के अरमानों ने
ली एक नई अंगड़ाई है
नन्हे नन्हे हाथों की
नन्ही सी लकीरों में पापा ने
अपनी किस्मत लिखवाई है
जान भर देती है पापा में
उसकी एक अदद मुस्कान
एक स्पर्श दूर कर देता है थकान
एक हरकत जगा देती है जादू
उसे देखे बिना अब दिल पे नहीं कोई काबू
कंधे पे बैठाकर सैर कराऊं
घोड़ा बनकर पीठ पे बिठाऊं
बाथ टब में छ्प छ्प करके उसे नहलाऊं
लोरी गाकर उसे सुलाऊं
दिल करता है बस, उसे देखे जाऊं
पता नहीं और क्या क्या इच्छाएं हैं पापा की ?
दुनिया की नजरों से उसे बचाना है
कदम कदम पर "शैतानों" का ठिकाना है
आजकल किसी पे भी विश्वास नहीं करना
परियों का देश नहीं रहा है अब ये
अब तो ये लंका बन गया है जहां
सीताओं को रावणों से बचाना है ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
10.5.2022
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Reyaan
11-May-2022 05:16 PM
👌👏👏
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Muskan khan
11-May-2022 02:27 PM
Amazing
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Archita vndna
10-May-2022 09:23 PM
👍👍
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